देखते पूछ कर तुम भी कभी,
अपने पडोसियों का हाल,
ये बिना फ़िक्र किये एक बार
कि क्या है उनका मजहब
और क्या है उनकी जात
तो महसूस कर पाते तुम भी
उस सरजमीं को बार-बार
जहाँ ना है कोई पैगम्बर और ना ही कोई भगवान्
जहाँ ना है ऐसे जन्म
जो बांधें बेड़ियों से किसी के पाँव
बस इन्सां हैं, केवल इन्सां
और वही एक पहचान
ऐसा है मेरा सपना,
ऐसा है मेरा देश महान |
अपने पडोसियों का हाल,
ये बिना फ़िक्र किये एक बार
कि क्या है उनका मजहब
और क्या है उनकी जात
तो महसूस कर पाते तुम भी
उस सरजमीं को बार-बार
जहाँ ना है कोई पैगम्बर और ना ही कोई भगवान्
जहाँ ना है ऐसे जन्म
जो बांधें बेड़ियों से किसी के पाँव
बस इन्सां हैं, केवल इन्सां
और वही एक पहचान
ऐसा है मेरा सपना,
ऐसा है मेरा देश महान |
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