हो रहा एहसास ये कैसा?
ये कैसी अनुभूति है ?
मेरे हृदय पे प्रेम की,
बूंदे जब से बरसी हैं ।
मैं ठहरा नादान यहाँ पे,
तू भी तो अनजानी है ।
पर तेरे लफ्जों के माधुर्य से
दुनिया मेरी मीठी है ।
उठता जब चर्चा महफ़िल में,
जब पूछते लोग तेरे बारे में,
मैं कहता हूँ, ऐ सुनो जमाना !
वो सिर्फ और सिर्फ मेरी अनुभूति है ।
ये कैसी अनुभूति है ?
मेरे हृदय पे प्रेम की,
बूंदे जब से बरसी हैं ।
मैं ठहरा नादान यहाँ पे,
तू भी तो अनजानी है ।
पर तेरे लफ्जों के माधुर्य से
दुनिया मेरी मीठी है ।
उठता जब चर्चा महफ़िल में,
जब पूछते लोग तेरे बारे में,
मैं कहता हूँ, ऐ सुनो जमाना !
वो सिर्फ और सिर्फ मेरी अनुभूति है ।