देखा था सपनो में कभी,
वो एक ख्वाब तुझे अपना बनाने का,
तेरे लिए सारा जग भुलाने का,
तेरी मुस्कान पर मर मिट जाने का,
खुशियों से तेरा दामन सजाने का॥
पर, तू मेरी न हुई,
मेरे अरमानों की तुने कोई क़द्र न की,
एक पथ पर होकर भी
तू किसी और मंजिल को मुड़ गई॥
अब सोचता हूँ,
लिख दूँ अपने जज्बात सारे
जो तेरे प्यार में उठा करते थे।
लहरों सी बनकर, मन-मस्तिष्क में मेरे
बहा करते थे।
इस तरह ,
थोडी सी जो तेरी याद कम होगी,
जिंदगी मेरी गुजरने लायक होगी॥
Ideas only matter in this world. Let us generate them in full. Poems are words unsaid, emotions unexpressed and feelings unfelt.
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