Tuesday, January 17

ऐ मेरी कविता


ऐ मेरी कविता! तू ही तो है अमानत मेरी,
ये घर, ये संसार सब न्योछावर तुझ पर,
तू ही तो है जन्नत मेरी |

मेरे उदास पलों की संगदिल है तू ,
मेरी खुसिओं का उत्कर्ष तू ही |
मेरी व्यग्रता को शब्दों में बयां करती,
मेरे भावों की आत्मा तू ही |

अंतिम में,

मुझको सम्पूर्ण करती, ऐ मेरे मस्तिष्क की कल्पना,
मेरे जीवन का है उद्देश्य तू ही |

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