Monday, March 5

खुश रहता हूँ खुली आँखों से मैं 
क्यूंकि आंसुओं को भी है पता 
मेरे पत्थर दिल की हकीकत | 
काफी अच्छी समझ हो चुकी है 
बरखुरदार अब अपने  दरम्यान 
तभी तो वो सैलाब बन बस सपनों में आते हैं 
और हम भी 'बेफिकर, बेतरतीत 'जिए' जाते हैं | 



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