कभी कभी इस दिल को
सच भी दिखलाना पड़ता है
ये आशिक बन 'इश्क' गलियों में फिरता है
इसे 'अंजाम-ए-वफ़ा' की तल्ख़ मंजिल
'बेवफाई' से मिलाना पड़ता है |
'शशांक'
सच भी दिखलाना पड़ता है
ये आशिक बन 'इश्क' गलियों में फिरता है
इसे 'अंजाम-ए-वफ़ा' की तल्ख़ मंजिल
'बेवफाई' से मिलाना पड़ता है |
'शशांक'
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