Monday, September 3

'याद'

ढलता सूरज,चढ़ती रात
हर सपने में हमसफ़र 'याद'
कितना छोडो, कितना कोसो
'याद' फिर भी हमदम, हमराज़ |

मरना हो या फिर जीना
गम हो या ख़ुशी का महीना
हर पल जो रहे साथ-साथ
वो 'याद', वो 'याद' |

'याद' जरूर है बात बड़ी खास
तभी तो रखे हर कोई संजो के याद !

'शशांक'

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