'याद'
ढलता सूरज,चढ़ती रात
हर सपने में हमसफ़र 'याद'
कितना छोडो, कितना कोसो
'याद' फिर भी हमदम, हमराज़ |
मरना हो या फिर जीना
गम हो या ख़ुशी का महीना
हर पल जो रहे साथ-साथ
वो 'याद', वो 'याद' |
'याद' जरूर है बात बड़ी खास
तभी तो रखे हर कोई संजो के याद !
'शशांक'
मरना हो या फिर जीना
गम हो या ख़ुशी का महीना
हर पल जो रहे साथ-साथ
वो 'याद', वो 'याद' |
'याद' जरूर है बात बड़ी खास
तभी तो रखे हर कोई संजो के याद !
'शशांक'
No comments:
Post a Comment