सुर्ख गुलाबी हो जाते हैं अक्सर धूप में उसके गाल
शायद सूरज भी होता मस्ताना देख उसकी चाल
अब तो मौला रहमत कर, दे मुझको पी का साथ
बनूँ मैं छतरी उसका हरदम रखने शीतल छांव ||
'शशांक'
शायद सूरज भी होता मस्ताना देख उसकी चाल
अब तो मौला रहमत कर, दे मुझको पी का साथ
बनूँ मैं छतरी उसका हरदम रखने शीतल छांव ||
'शशांक'
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