दुनिया में आए थे करने दीदार-ए-जिंदगी,
कमबख्त मौत से इकरार कर बैठे
सोचा था अभी बरस कई हैं जीने को,
जीवन में कुछ करने को
जब उठी अर्थी तो समझा,
पल अभी और चाहिए थे कुछ कर गुजरने को ।।
सन्दर्भ: नादानों संभल जाओ, अभी भी वक़्त है ।
कमबख्त मौत से इकरार कर बैठे
सोचा था अभी बरस कई हैं जीने को,
जीवन में कुछ करने को
जब उठी अर्थी तो समझा,
पल अभी और चाहिए थे कुछ कर गुजरने को ।।
सन्दर्भ: नादानों संभल जाओ, अभी भी वक़्त है ।
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