फिर वही शाम हुई , फिर वही रात आई
ना तुम आए, ना फिर तुम्हारी याद आई।
देखा करते थे जो तुम्हें ख्वाबों में कभी,
ना वो ख्वाब रहा न उसकी याद रही॥
इससे अच्छा तो हम तन्हा थे ,
जब चाहे हँसते, जब चाहे रो लेते थे।
अब तो हंसने पर आंखों में आंसू आते हैं ,
और रोते समय हंस-हंस कर गाते हैं॥
ऐसा अक्सर क्यूँ होता है?
कांच की तरह दिल टूट जाता है।
टूटे शीशे तो फिर भी जुड़ जाते हैं,
दिल एक बार टूटे, तो फिर रूठ जाता है॥
कभी जो मिलो तो बताएं तुम्हें,
इस टूटे दिल के हाल सुनाएं तुम्हें,
दिल तो अब भी धड़कता है , तुम्हारी याद में तड़पता है।
इस दिल को कैसे समझाएं,
यह दिल तो सिर्फ़ तुम्हारी धड़कन सुनता है॥
जिंदगी में अभी और मोड़ आयेंगे,
कुछ नए जुडेंगे तो कुछ पुराने छूट जायेंगे,
पर दिल तुम्हें भूलेगा कैसे?
तेरे बिन ये जियेगा कैसे?
हो सके तो सपनों में आ जन कभी,
उन सपनों के सहारे जिंदगी कट जायेगी॥
जब जिंदगी अंत पर आएगी
तेरे ओठों के मुस्कान पर टिक जायेगी ।
खुदा कसम, जिस पल न तू मुस्कराएगी
उस पल जिंदगी चली जायेगी॥
अर्थी तो मेरी उठेगी ,
पर लाश तू बन जायेगी।
मुझसे बेवफाई करके
तू कभी न जी पाएगी ॥
Ideas only matter in this world. Let us generate them in full. Poems are words unsaid, emotions unexpressed and feelings unfelt.
Friday, August 29
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Tharoor in a pseudo intellectual role till 2019
Mr Tharoor is a learned person...represented India in the UN ...lost the race to be its secretary general not because he was less competen...
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Introduction: FROM 12TH JUNE TO 12TH JULY I along with my friends went to Bhilai to undergo vocational training at BSP(Bhilai Steel Plant)...
BRILLIANT ,A FANTASTIC POEM BY A SIMPLE GUY.................
ReplyDeleteAMAZING..............
AFTER SEEING YOU NO BODY CAN SAY THAT YOU WRITE .
GOOD KEEP IT UP
hooo, it is very fentastic, mind blowin, brain booster ,cant be illustrated in words....so keep edditing
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