एक दिन मैं उदास था , अंतर्मन में मेरे भटकाव था ,
तभी मैंने उड़ती चिडिओं को देखा, उनके बारे में सोचा।
वो तिनके एकत्र कर रहीं थीं,
अपने असियाने बना रहीं थीं।
थकने पर भी थकने का एहसास न था उनको,
कुछ नया करने की चाह थी उनको।।
उस दिन मुझे जिंदगी समझ में आई,
अपने काम को निरंतर करने की उक्ति पाई।
मैंने जिंदगी को उद्देश्यपूर्ण बनाने का संकल्प लिया,
कुछ अर्थपूर्ण करने का प्रण किया॥
अब निकल पड़ा हूँ जिंदगी की तलाश में,
जिंदगी ,
जिसमें जीने की राह हो ,
कुछ कर गुजरने की चाह हो।
बस यही है मन में अभी , थक कर जब सोऊँ कभी
अंतरात्मा मेरी ये आवाज दे ,
जिंदगी को तुमने जीवन का अर्थ समझाया है
स्वजीवन पूर्ण सार्थक बनाया है॥
Ideas only matter in this world. Let us generate them in full. Poems are words unsaid, emotions unexpressed and feelings unfelt.
Sunday, August 31
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Tharoor in a pseudo intellectual role till 2019
Mr Tharoor is a learned person...represented India in the UN ...lost the race to be its secretary general not because he was less competen...
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marvellous, an inspiring poem thta touched my heart...keep it going on...
ReplyDeleteIT GAVE ME INSPIRATION OF ACHIEVING THE HEIGHTS OF SUCCESS.
ReplyDeleteGOOD JOB ,YOU ARE DOING SOCIAL SERVICE.
KEEP IT UP
whenever i would be unhappy i am sure to come to read this poem. wish u all the best for everything u want to do in ur life.
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