Sunday, August 31

उद्देश्य

एक दिन मैं उदास था , अंतर्मन में मेरे भटकाव था ,
तभी मैंने उड़ती चिडिओं को देखा, उनके बारे में सोचा।
वो तिनके एकत्र कर रहीं थीं,
अपने असियाने बना रहीं थीं।
थकने पर भी थकने का एहसास न था उनको,
कुछ नया करने की चाह थी उनको।।

उस दिन मुझे जिंदगी समझ में आई,
अपने काम को निरंतर करने की उक्ति पाई।
मैंने जिंदगी को उद्देश्यपूर्ण बनाने का संकल्प लिया,
कुछ अर्थपूर्ण करने का प्रण किया॥

अब निकल पड़ा हूँ जिंदगी की तलाश में,
जिंदगी ,
जिसमें जीने की राह हो ,
कुछ कर गुजरने की चाह हो।
बस यही है मन में अभी , थक कर जब सोऊँ कभी
अंतरात्मा मेरी ये आवाज दे ,
जिंदगी को तुमने जीवन का अर्थ समझाया है
स्वजीवन पूर्ण सार्थक बनाया है॥

3 comments:

  1. marvellous, an inspiring poem thta touched my heart...keep it going on...

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  2. IT GAVE ME INSPIRATION OF ACHIEVING THE HEIGHTS OF SUCCESS.
    GOOD JOB ,YOU ARE DOING SOCIAL SERVICE.
    KEEP IT UP

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  3. whenever i would be unhappy i am sure to come to read this poem. wish u all the best for everything u want to do in ur life.

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